इस सिलसिले में सालों गुजर गए ।
अजीब इंसान था वह ग़लतफहमी को ही हक़ीक़त मान गया।
हुई थी जो एक गलती मुझसे बातें करना छोड़ गया,
अजीब शख्स था वह अपनी गलतफहमी को ही हक़ीक़त मान गया।
लगा दिए सारे इल्जाम उसने मुझ पर झूठ के,
कहकर विश्वास नहीं रहा अब तुम पर,
मेरे हर एक सच को वह यूं ही झुठ्ला गया,
अजीब शख्स था वह अपनी गलतफहमी को ही हक़ीक़त मान गया ।
कभी हम इतने करीब थे ,
आज पहचानने से ही इनकार कर गया।
अरे मैं जानती हूं जाना ही था तुझे,
बेवजह बहाने क्यों दे गया,
अजीब शख्स था अपनी गलतफहमी को ही हक़ीक़त मान गया!!♥️♥️
अरे मैं जानती हूं जाना ही था तुझे,
बेवजह बहाने क्यों दे गया,
अजीब शख्स था अपनी गलतफहमी को ही हक़ीक़त मान गया!!♥️♥️
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